हरिद्वार (संवाददाता- अरुण कश्यप): इन दिनों हरिद्वार ग्रामीण में चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर है। हर दिन यहां चुनावी महासमर में यहां नया चुनावी शंखनादहो जाता है, यहां कांग्रेस से अनुपमा रावत और भाजपा से स्वामी यतीश्वरानंद सीधे आमने सामने है, दोनों हर कीमत पर यह चुनाव जीतकर विधान सभा में अपनी जगह बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान नए नए चुनावी हथकंडे भी अपनाए जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत को शायद अपनी पार्टी के ट्रैक में खामियां नजर आती हैं, शायद इसीलिए वो इन दिनों दोहरी भूमिका में नजर आ रही है।
कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम पूरे देश में प्रसिद्ध है, लेकिन शायद अनुपमा इन दिनों इससे परहेज़ कर रही है जिससे मुस्लिम समाज में उनके प्रति रोष भी बढ़ता जा रहा है। शायद अनुपमा को लग रहा है कि मुस्लिम प्रेम के टैग के चलते कांग्रेस हमेशा बैकफुट पर रहती है, शायद इसी कमी को दूर करने के लिए अब अनुपमा रावत ने नया पैंतरा इजाद किया है। अनुपमा रावत अब अपने सहयोगी मुस्लिम समर्थकों को अपने साथ चुनावी प्रचार में रखने से परहेज करती नजर आ रही है। चर्चा है कि इसके लिए उन्होंने मुस्लिम समर्थकों को सख्त निर्देश भी दिए हैं जिससे इन मुस्लिम समर्थकों में फैला रोष अब मुस्लिम नेताओं को भी कांग्रेस छोड़ने पर विवश होना पड़ रहा है। मुस्लिम समाज से अपेक्षा का बड़ा परिणाम भी शनिवार को उस समय देखने को मिला जब, कांग्रेस के दो कद्दावर अंसारी बंधु हनीफ अंसारी और नसीम अंसारी कांग्रेस को अलविदा कह कर चल दिए, उनका आरोप था कि कांग्रेस अब मुस्लिम नेताओं की अनदेखी कर रही है,जिसका खामियाजा कांग्रेस और अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा चुनाव के नतीजों के रूप में भुगतना पड़ेगा।
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