बागेश्वर: चुनाव बहिष्कार का ऐलान, खस्ताहाल सड़क की तस्वीर से अवाम खफा

 

devbhoomi
बागेश्वर जनपद के दूरस्थ और सीमांत गांव मजकोट के ग्रामीणों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। कभी शासन तो कभी प्रशासन के चक्कर काटते काटते ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। ऐसे में गुस्साए ग्रामीणों ने शासन प्रशासन की अनदेखी से खफा होकर लोकतंत्र के महापर्व यानी चुनाव में अपना मत न डालने का मन बनाया है मजकोट के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करने का बिगुल फूंक दिया है।

devbhoomi

दरसल गढ़वाल और कुमायूँ की सीमा से सटे इस गांव के ग्रामीण गढ़वाल की सीमा से कुमायूँ की सीमा को जोड़ने वाली महत्वकांक्षी सड़क बिनातोली मजकोट कंधार सड़क के अपग्रेडेशन और डामरीकरण जल्द कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मांग के लिए बाकायदा शासन से 931.53 लाख की धनराशि आवंटित भी हो चुकी है और कार्यदायी संस्था पीएमजीएसवाई विभाग की ओर से टेंडर भी निकाले जा चुके हैं। लेकिन ठेकेदारों की आपसी सरफुटटवल के चलते मामला उच्च न्यायालय में लंबित पड़ा है। ग्रामीणों की ओर से भी न्यायालय में जनसरोकारों और सामरिक दृष्टि का हवाला देते हुए जनहित याचिका भी न्यायालय में दी गयी लेकिन अब भी गेंद ग्रामीणों के पाले में न आ सकी जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने शासन प्रशासन को 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है और सड़क निर्माण सहित डामरीकरण का कार्य जल्द न शुरू कराए जाने पर चुनाव बहिष्कार का भी एलान किया है।

ग्रामीणों के बयान और सड़क की तस्वीरें इन ग्रामीणों का दर्द बयां कर देती है सड़क की हालत ऐसी है कि बरसात के 4 महीने ग्रामीणों को पैदल ही दूरी नापनी पड़ती है क्योंकि अक्सर दो बूंद बारिश में ही सड़क पर जमा कीचड़ सड़क को पैदल रास्ते मे तब्दील कर देता है। अलबत्ता कभी कबार तो ऐसे हालात भी हो जाते हैं कि ग्रामीणों का पैदल चलना तक भी दूभर हो जाता है। अब जरा सोचिए बीमारी या प्रसव की स्थिति में कैसे इस गांव के ग्रामीण बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से जूझते होंगे। इस गांव को अल्मोड़ा सीट से लोकसभा सांसद अजय टम्टा ने गोद लिया है। बागेश्वर के विधायक चन्दनराम दास इसी सीट से 3 बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंच चुके हैं। लेकिन ग्रामीणों का दर्द और सड़क के हालात अब भी जस के तस हैं भला लोकतंत्र के लिए उत्तराखंड में इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है कि जहां एक ओर चुनाव आयोग प्रदेश सहित देशभर में शत प्रतिशत मतदान कराने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है। घर घर जाकर मतदाता पहचान पत्र बनाये जा रहे हैं। स्वस्थ लोकतंत्र में आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। वहीं दूसरी ओर मजकोट के ग्रामीणों को आजादी के 74 वर्षो बाद भी बेहतर सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए चुनाव बहिष्कार करने को मजबूर होना पड़ रहा है। इससे ज्यादा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि ग्रामीण मुख्यधारा से जुड़ने के लिए आंदोलन की राह पर हैं।

more news

devbhoomi

uttarakhand news

devbhoomi news

uttarakhand devbhoomi news

devbhoomi uttarakhand news


https://devbhoominews.com Follow us on Facebook at https://www.facebook.com/devbhoominew…. Don’t forget to subscribe to our channel https://www.youtube.com/channel/UCNWx

Comments