यूं तो हम आपको उत्तराखंड से जुड़े तमाम किस्से और कहानियां सुनाते हैं ये कहना गलत नहीं है जहां देवी देविताओं का वास होता है वहां भूतों का वास भी जरुर होता है लेकिन हर बार ये अदृश्य शक्तियां बुरी नहीं होती है इसी का एक जीता जागता उदाहरण आज हम आपको बताएंगे.
रंग देवभूमि के कार्यक्रम मे हम देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति, धार्मिक मान्यताएँ और परिवेश से जुड़ी कई रोचक जानकारियाँ रोज़ आपके लिए लेकर आते हैं. तो ये एंटरटेनिंग और इनफॉर्मॅटिव वीडियोस आपसे मिस ना हों इसलिए जल्दी से हमारे चैनल को सबस्क्राइब करलें और बेल आइकान दबाना बिल्कुल ना भूलें.जो कहानी आज हम आपको सुनाने वाले हैं इस कहानी का कोई ठोस प्रमाण तो नहीं हैं पर लेकिन आप ज्योलिकोट जाएँगें तो कोई ना कोई आपको इस विचित्र घटना के बारे में बता ही देगा।
ये 19वी शताब्दी की बात है जब लेफ्टिनेंट कर्नल वॉर्विक नाम के एक अंग्रेजी अफसर ज्योलिकोट आए थे। उस समय में ज्योलिकोट एक छोटा सा गाँव था जहाँ पर नैनीताल जाते हुए अंग्रेजी अफसर और उनके घोड़े कुछ देर सुस्ताते थे।
यहाँ पर रुके वॉर्विक साहब को एक स्थानीय लड़की से प्यार हो गया और कर्नल साहब यहीं के होकर रह गए। उन्होंने गाँव की उस महिला से शादी रचाई और ज्योलिकोट में एक घर भी बनाया। शादी के कुछ सालों बाद वार्विक साहब की पत्नी का देहांत हो गया और 20 कमरों के इस घर में वो अकेले रहने लगे। ना नौकरों को अंदर आने की इजाज़त थी और गाँव वाले अगर पास से भी गुज़रते तो उनको धुत्कार कर भगा दिया जाता।
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